मैं अपने अस्तित्व के लिए
मैं अपने वजूद के लिए
लड़ाई लड़ रहा था
बरसों की तरह...
मैं अपने वजूद के लिए
लड़ाई लड़ रहा था
बरसों की तरह...
कई लोग मसलने में लगे थे
कई लोग कुचलने में लगे थे
कई लोग रौंदने में लगे थे मुझे
सदियों की तरह...
कई लोग कुचलने में लगे थे
कई लोग रौंदने में लगे थे मुझे
सदियों की तरह...
ना मैं दाम में बिका
ना मैं दंड में झुका
ना मैं भेद से हारा
मगर मैं साम में फंसा फिर से
और बेमौत मारा गया
पहले की तरह...
ना मैं दंड में झुका
ना मैं भेद से हारा
मगर मैं साम में फंसा फिर से
और बेमौत मारा गया
पहले की तरह...
- कंचन ज्वाला कुंदन
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें