ये कहर क्यों है बरपा इधर हमीं पर
मस्ती में हूँ फिर भी अपनी कमी पर
मस्ती में हूँ फिर भी अपनी कमी पर
तुम ही उड़ो जीभर आसमां मुबारक हो
अरे बेहतर हूँ मैं यहाँ इधर जमीं पर
अरे बेहतर हूँ मैं यहाँ इधर जमीं पर
और तेज भागो तुम बुलंदी के छोर तक
ठहरना है तुमको तो सीधा वहीं पर
ठहरना है तुमको तो सीधा वहीं पर
इसी हाल पर ही छोड़ दो मुझे तुम
हाँ ठीक हूँ अकेला मैं इधर यहीं पर
हाँ ठीक हूँ अकेला मैं इधर यहीं पर
पहुँचो तुम कहीं भी पीछे नहीं आऊंगा
मुझे जाना नहीं है जब उधर कहीं पर
मुझे जाना नहीं है जब उधर कहीं पर
- कंचन ज्वाला कुंदन
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