बुधवार, 1 अप्रैल 2020

गुम रहो अभी खांसना भी मत, भूलकर भी भीड़ में छींकना नहीं...

जब तक इतिहास लिखना नहीं
अपने ही नजरों में दिखना नहीं
गुम रहो अभी खांसना भी मत
भूलकर भी भीड़ में छींकना नहीं
ओढ़ लो अभी ख़ामोशी की चादर
मंजिल मिलने तक चीखना नहीं
कीमत बढ़ने का इंतजार करो
अरे सस्ते में अभी बिकना नहीं
- कंचन ज्वाला कुंदन

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