गुरुवार, 20 दिसंबर 2018

एक मार्कशीट के लिए...

तुम साल भर तक उलझे हो
इन किताबों में
सिर्फ एक मार्कशीट के लिए
मैं जानता हूँ ये बात भी
आखिर में तुम्हें बेरोजगार ही भटकना है
आज के इस बकवास शिक्षातंत्र से
मेरा पहला सवाल...
पढ़ने का अंतिम लक्ष्य
यदि आजीविका है
तो बताओ मुझे
मैं पढ़ना चाहता हूँ
कौन-सी किताब में
रोजगार का पाठ है
और कौन-सी रोजगार की किताब है
जिसका यथार्थ से संबंध है
जिसका धरातल से सरोकार है
मेरा दूसरा सवाल...
यदि इन किताबों  का मकसद
हमें विद्वान बनाना है
तो मैं मिलना चाहता हूँ उस शख्स से
जो इन किताबों को पढ़कर ही विद्वान बन गया हो

- कंचन ज्वाला कुंदन 

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