चार चांद लग जाती है चालाकी से
मक्कारी भी हुनर है इस जमाने में
स्वार्थ सिद्ध हो तो कदम बढ़ाना आगे
मतलब जरूरी है कहीं भी जाने में
टेढ़ापन वाला सरलता भी अपना लो
इस कठिन जीवन के अफ़साने में
किसी को गड्ढे में गिराकर लगाओ ठहाके
खूब मजे भी लूटो किसी को फँसाने में
- कंचन ज्वाला कुंदन
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