मंगलवार, 4 दिसंबर 2018

मक्कारी भी हुनर है इस जमाने में

चार चांद लग जाती है चालाकी से
मक्कारी भी हुनर है इस जमाने में

स्वार्थ सिद्ध हो तो कदम बढ़ाना आगे
मतलब जरूरी है कहीं भी जाने में


टेढ़ापन वाला सरलता भी अपना लो
इस कठिन जीवन के अफ़साने में

किसी को गड्ढे में गिराकर लगाओ ठहाके
खूब मजे भी लूटो किसी को फँसाने में

- कंचन ज्वाला कुंदन 

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