चावल-दाल की भाषण से पक चुकी थी जनता
एक ही बटन पर ऊँगली दबाते थक चुकी थी जनता
नकचढ़ी सरकार को धूल चटाना बहुत जरूरी था
बदलाव के लिए बुलंद इरादा रख चुकी थी जनता
बहुत अफसोस हुआ होगा सरकारी संपादकों को
हमने अखबारों के प्री-डिसाइडेड समाचार ही बदल दी
अखबार के आड़ में भड़वागीरी बंद करो तुम
लो आखिर हमने अब सरकार ही बदल दी
- कंचन ज्वाला कुंदन
एक ही बटन पर ऊँगली दबाते थक चुकी थी जनता
नकचढ़ी सरकार को धूल चटाना बहुत जरूरी था
बदलाव के लिए बुलंद इरादा रख चुकी थी जनता
बहुत अफसोस हुआ होगा सरकारी संपादकों को
हमने अखबारों के प्री-डिसाइडेड समाचार ही बदल दी
अखबार के आड़ में भड़वागीरी बंद करो तुम
लो आखिर हमने अब सरकार ही बदल दी
- कंचन ज्वाला कुंदन
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