01
इस बार ऐसा दिवाली मनाएँ
आओ दिमाग का दीया जलाएँ
सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन से
एक कदम आगे बढ़ जाएँ
फोड़ना नहीं पटाखा एक भी
बत्ती बुझाकर सो जाएँ
02
व्यापारियों ने रचा दिवाली है
अपना जेब तो खाली है
इसे इसी तरह मनाने का
बताओ आदत किसने डाली है
पटाखा फोड़ने का रिवाज
सच कहूँ तो जाली है
03
बिना कोई पटाखा फोड़े
दिवाली क्यों अधूरा होगा
क्या पटाखा फोड़ने से ही
तुम्हारा दिवाली पूरा होगा
इस कुचक्र को नहीं समझे
तो बहुत बुरा होगा
- कंचन ज्वाला कुंदन
बहुत सुन्दर सटीक बात समाज सुधार जरूरी है
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