शुक्रवार, 2 नवंबर 2018

आओ दिमाग का दीया जलाएँ


           01
इस बार ऐसा दिवाली मनाएँ
आओ दिमाग का दीया जलाएँ

सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन से
एक कदम आगे बढ़ जाएँ

फोड़ना नहीं पटाखा एक भी
बत्ती बुझाकर सो जाएँ 

         02

व्यापारियों ने रचा दिवाली है
अपना जेब तो खाली है

इसे इसी तरह मनाने का
बताओ आदत किसने डाली है

पटाखा फोड़ने का रिवाज
सच कहूँ तो जाली है

          03

बिना कोई पटाखा फोड़े
दिवाली क्यों अधूरा होगा

क्या पटाखा फोड़ने से ही
तुम्हारा दिवाली पूरा होगा

इस कुचक्र को नहीं समझे
तो बहुत बुरा होगा 

- कंचन ज्वाला कुंदन 

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