शुक्रवार, 25 जनवरी 2019

वो सहकर्मी मेरी ले लेना चाहती है कहीं भी, कभी भी...

मैं सोचता था 
हमारी दोस्ती 
दफ्तर से आगे है 
मगर 
मैं गलत था 
हमारी दोस्ती 
भले ही जहाँ से भी 
शुरू हुई हो 
दफ्तर तक ख़त्म थी 
वो सहकर्मी 
मेरी ले लेना चाहती है 
कहीं भी, कभी भी... 

-कंचन ज्वाला कुंदन 

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