शुक्रवार, 16 नवंबर 2018

वहां से जो साँस लेकर लौटा हूँ, कसम से अंतिम सांसों तक याद रहेगा...

चुनाव का टाइम 
दफ्तर में रोज के पचड़े 
राहत की साँस लेने 
कल शाम को 
नया रायपुर जा रहा था 
वहां से जो साँस लेकर लौटा हूँ 
कसम से अंतिम सांसों तक याद रहेगा 
एक प्रेमी जोड़ा रास्ते में ही 
शुरू हो गए थे 
ये प्रेमी जोड़ा समलिंगी थे 
दोनों ही लड़कियां थीं 
अचानक एक झुरमुट के रास्ते से गुजरना हुआ 
देखा कि दोनों प्रेमालाप में मग्न थे 
एक-दूसरे का चुंबन कर रहे थे 
और भी वो सब क्रियाकलाप 
जो-जो आपने भी अपने जीवन में किया है 
मगर विपरीत लिंगी के साथ 
मैं बाइक से थोड़ी दूर जाकर 
इस नज़ारे को देखने फिर लौटा 
दोनों को कोई फर्क नहीं पड़ा 
मेरे मन के कोने में बैठा हुआ चोर 
सोच रहा था कि 
वो दोनों मुझे इशारे से बुला लें 
मैं दोनों का प्यास बूझा सकता हूँ 
मगर विषय उनके चुनाव का था 
वे समलिंगी थे 
इसलिए दोनों ने एक-दूसरे को चुना था 
मेरे कदम ठिठक रहे थे 
उसका दूसरा कारण भी था 
शादी की वजह से मैं रजिस्टर्ड हो चुका हूँ 
मैंने सोचा इस प्रेमी जोड़े को सम्मान से 
प्रेम करने दिया जाये 
एकबारगी ये भी लगा कि 
एक पत्रकार के नाते 
इन दोनों का पर्सनल इंटरव्यू ले लूँ क्या 
मगर इतने उन्मुक्त प्रेमी जोड़े 
कि मेरी हिम्मत ही नहीं हुई 
ऐसे इंटरव्यू के लिए मेरी कोई तैयारी भी तो नहीं थी 
दिमाग में ये भी आया कि 
कहीं ये दोनों मिलकर 
मेरा ही इंटरव्यू ना ले लें 
मैं सोचा इस संकट में फँसने से अच्छा
जीवन भर के लिए 
एक उन्मुक्त जीवन का अनुभव लेकर 
वापस लौटना ही बेहतर है  
दफ्तर के उलझन को जरा सा सुलझाने के लिए निकला था 
पूरे रास्ते एक नया उलझन लेकर लौटा हूँ 
समलैंगिकता पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का आज 
बार-बार दिल से सम्मान कर रहा था, सलाम कर रहा था 
मैं दो समलिंगियों का मिलन 
ऑनलाइन तो दर्जनों बार देख चुका हूँ 
कुछ लोग सैकड़ों बार भी देख चुके होंगे 
मगर ऑफ़लाइन देखने-समझने का 
मेरा ये पहला अनुभव था 
और शायद आखिरी भी 
इसलिए मैंने सोचा ये बात सभी से साझा कर दूँ 
मैं समझ चुका था 
सारा मामला हमारी चाहत-जरुरत 
और चुनाव का है 
खैर...
माहौल चुनाव का है 
अब चुनने की बारी आपकी है...

- कंचन ज्वाला कुंदन 

गुरुवार, 15 नवंबर 2018

मैं जानना चाहता हूँ आपसे ही...

फेसबुक में 5 हजार फ्रेंड 
जल्दी-जल्दी पूरा करो भाई 
बाद में करते रहना फिर 
छंटाई पर छंटाई 
पहले तो कुआँ खोदो 
फिर खोदते रहना खाई  
व्हाट्सएप में भी 
पूरे दिन-पूरी रात 
देते रहो रिप्लाई पर रिप्लाई  
मतलब तो साफ़ है 
मोबाइल का मालिक नहीं हूँ मैं 
गुलाम बन चुका हूँ इस कमबख्त का 
लाइक और कमेंट का 
लगाते रहता हूँ हिसाब 
उसने दिया है मुझे तो 
मैं भी देते रहता हूँ जवाब 
बहुत हो गया...
मैं निकलना चाहता हूँ 
इस कुचक्र से बाहर 
कोई रास्ता हो तो बताना जरूर 
मैं जानना चाहता हूँ आपसे ही...

- कंचन ज्वाला कुंदन 

बुधवार, 14 नवंबर 2018

अब आप ही बताएं मुझे किसे वोट देना चाहिए...

परसों रात
पड़ोसी के घर के छत से
मेरे घर के छत पर 
कांग्रेस पार्टी के
कुछ लौंडे आये थे
सिंटेक्स के ऊपर
एक बड़ा-सा
अपनी पार्टी का
चुनावी झंडा फहरा के चले गए
ठण्ड के दिनों में
धूप में नहाने के लिए
मेरे घर के छत पर
नल की एक टोटी लगी है
रोज की तरह
जब सुबह मैं छत पहुंचा
गुनगुनी धूप में
नहाने के लिए
कांग्रेस के उस बड़े-से झंडे ने
मेरे हिस्से का
आधी धूप ढँक लिया था
मैंने खुद से
समझौता कर लिया
आधी धूप में ही
बदन सेंक लिया
गुनगुनी धूप की
आधी मजा में नहाकर
बस्तर की हालात जैसे
दफ्तर चला गया
फिर बीते कल रात ही
पड़ोसी के घर के छत से
मेरे घर के छत पर
बीजेपी के कुछ बंदर आये थे
उन लोगों ने भी...
उसी सिंटेक्स के ऊपर
जहाँ से मुझे
आधी धूप नसीब हो रही थी
उसमें कांग्रेस पार्टी से भी बड़ा
विजय पताका फहरा दिया   
रोज की तरह जब
सुबह मैं फिर से छत पहुंचा
पूरा सूरज ढँक चुका था
मेरे हिस्से का पूरा धूप गायब था
अब आप ही बताएं
मुझे किसे वोट देना चाहिए...

कंचन ज्वाला कुंदन    

रविवार, 11 नवंबर 2018

तो डूब मरना चाहिए हमें चुल्लू भर पानी में...

आज के समय में
सबसे बड़ा लुटेरा है व्हाट्सएप
ये रोज लूट रहा है
हम सबका कीमती वक्त
सबसे बड़ा डकैत है फेसबुक
ये रोज डाका डाल रहा है
हमारे कीमती समय पर
कोई थाना है क्या...?
जहाँ मैं इसका रिपोर्ट लिखा सकूँ
कोई अदालत है क्या...?
जहाँ इस केस पर सुनवाई हो
फेसबुक और व्हाट्सएप
वाकई कुसूरवार हो तो
लटका दो दोनों को
एक ही रस्सी से फांसी पर
और...
यदि हम ही गुनहगार हैं
तो डूब मरना चाहिए हमें
चुल्लू भर पानी में...

- कंचन ज्वाला कुंदन 

ये जाकर कह दो तुम्हारे रब को वो जोड़ी ना बनाये

ये जाकर कह दो तुम्हारे रब को वो जोड़ी ना बनाये
उसे कुछ बनाने का इतना ही शौक है तो रोटी बनाये

उसके सर्वशक्तिमान होने की बात बिल्कुल लफ्फाजियां है
अगर वो इतना ही शक्तिशाली है तो भुखमरी मिटाये

वो सब कुछ कर सकता है ये बात भी बकवास है
ये काम चुनौती है उसके लिए वो गरीबी हटाये

कल तेज हवा में उड़ गया है आँगन से मेरा कच्छा
तेरा भगवान इतना सच्चा है तो मेरा कच्छा दिलाये

मुझे कर्म पर यकीं है मैं किसी ईश्वर को नहीं जानता
अगर वो है कहीं तो अपने अस्तित्व का सबूत दिखाये

यदि वो वाकई इतना ही महान है इस जहाँ में 'कुंदन'
तो शोषण करने वाले इन अमीरों को उनकी औकात बताये 

- कंचन ज्वाला कुंदन
   

मैंने तय कर लिया है त्याग पत्र दे दूंगा नौकरी से

मैंने तय कर लिया है त्याग पत्र दे दूंगा नौकरी से
केवल मेरी जिंदगी चल रही है इस चाकरी से

मुझे कुछ बड़ा करना है जिंदगी का अंधेरा मिटाने
वो अब तक दूर क्यों है मैं खुद जाकर पूछूंगा रौशनी से

- कंचन ज्वाला कुंदन

मैं अच्छी तरह से जानता हूँ उस कमीने दल्ले चप्पू को

खून-पसीने एक करा लो फूटी कौड़ी ना दो अप्पू को 

मैं अच्छी तरह से जानता हूँ उस कमीने दल्ले चप्पू को



बद्दुआ है जब भी मरे वो किसी बड़ी बीमारी से 

सैकड़ों शख्स की हाय लगे हरामखोर टकले टप्पू को



एक-दूसरे को मोहरा बनाना फितरत है हरामी की 

सच्चे बनकर गच्चे देना यही भाता है उस गप्पू को



नेताओं के तलुवे चाटकर जगह-जगह जमीन दबाना 

कारनामों का कला आता है उस कलूटे कप्पू को



मुझे मेरे दर्द का हिसाब चाहिए, कोई उसे बता दे 

कुंडली मारकर बैठने वाले उस सपोले सप्पू को



-कंचन ज्वाला कुंदन

मंगलवार, 6 नवंबर 2018

चलो निकलो तुम भी अमीरी के सफ़र पर

कब तक चलते रहोगे गरीबी के डगर पर
चलो निकलो तुम भी अमीरी के सफ़र पर

अमीरी कोई हौव्वा नहीं जो हासिल नहीं होगा
अमीरी ही रखो तुम हर पल नजर पर

अमीर से पूछो वो अमीर कैसे बना
किस्मत पर नहीं कर्म के असर पर

कठिन राह पर निकलो तो भरोसा रखो
खुदा पर नहीं खुद के जिगर पर

पैसा कमाना भी एक कला है 'कुंदन'
निर्भर है ये अपने-अपने हुनर पर

- कंचन ज्वाला कुंदन 

रविवार, 4 नवंबर 2018

टॉयलेट वाले कितने हैं और लोटा वाले कितने हैं

मेरी पत्नी बोली-
ये जी...!
मैं किसे वोट दूंगी
मैंने कहा-
तुम्हारा वोट
तुम जानो
वो आगे बोली-
मैं किसी को नहीं दूंगी वोट
मैंने कहा-
वोट देने जरूर जाना
भले ही बटन नोटा में दबाना
तभी तो पता चलेगा
हमारे लोकतंत्र में आखिर
नोटा वाले कितने हैं
साथ ही यह भी पता चल जाएगा
टॉयलेट वाले कितने हैं
और लोटा वाले कितने हैं 

- कंचन ज्वाला कुंदन 

शुक्रवार, 2 नवंबर 2018

आओ दिमाग का दीया जलाएँ


           01
इस बार ऐसा दिवाली मनाएँ
आओ दिमाग का दीया जलाएँ

सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन से
एक कदम आगे बढ़ जाएँ

फोड़ना नहीं पटाखा एक भी
बत्ती बुझाकर सो जाएँ 

         02

व्यापारियों ने रचा दिवाली है
अपना जेब तो खाली है

इसे इसी तरह मनाने का
बताओ आदत किसने डाली है

पटाखा फोड़ने का रिवाज
सच कहूँ तो जाली है

          03

बिना कोई पटाखा फोड़े
दिवाली क्यों अधूरा होगा

क्या पटाखा फोड़ने से ही
तुम्हारा दिवाली पूरा होगा

इस कुचक्र को नहीं समझे
तो बहुत बुरा होगा 

- कंचन ज्वाला कुंदन