रविवार, 22 सितंबर 2019

मैंने सिर्फ एक ही शब्द बस माँ लिख दिया

मैंने माशूका पर ढेरों गजलें खामखां लिख दिया
लिखना तो था ही नहीं मगर हाँ लिख दिया

कोरे कागजों को काला करता रहा मोहब्बत पर
छद्म शब्दों का, आडंबर का कारवां लिख दिया

शिक्षक ने आज कहा परिवार पर कविता लिखो
मैंने सिर्फ एक ही शब्द बस माँ लिख दिया

शिक्षक ने कहा कुछ और आगे भी लिखो
मैंने माँ को मेरी खूबसूरत जहां लिख दिया

माँ पर कविता मेरे लिए मुमकिन नहीं गुरुजी
मैंने लिखने के अंत में अनंत आसमां लिख दिया

- कंचन ज्वाला कुंदन

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें