मौसम हंसी का है
खुशी का है
मौसम खुशगवार है
किसके लिए
उसके लिए जिसका मन भी खुशगवार है
मन भी खुशमिजाज है
ये नदी नाले पहाड़ झरने अहा कैसे
मन में हिलोरें हैं इसलिए
मौसम का कोई मन नहीं होता
लेकिन मन का मौसम होता है
मन का मौसम
बाहरी मौसम के लिए
उद्दीपक का काम करते हैं
मन चंगा तो सब चंगे नजर आएंगे
ये तय है कि मन से ही मौसम है
- कंचन ज्वाला कुंदन
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