बुधवार, 7 अगस्त 2024

मन अशांत है...

 मन अशांत है

बेचैन है

विषाक्त है

झरने के झर झर भी नहीं भा रहे इसे

कोयल की कूक भी कर्कश लग रहा है

समझ लेना अब मन को बाहर यात्रा की नहीं 

आंतरिक यात्रा की जरूरत है

अब ध्यान दीजिए आप ध्यान के बारे में

ध्यान से मन शांत होगा

चैन मिलेगा

मन के विषाक्त मिटेंगे

ध्यान के गर्भ से निकलेगा निश्चित ही

कोई न कोई निदान 

कोई न कोई समाधान

- कंचन ज्वाला कुंदन

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