गिरकर उठना है तो उठूंगा सर उठाकर
वरना ऐसे ही मर जाऊंगा सर झुकाकर
मौसम हंसी का है
खुशी का है
मौसम खुशगवार है
किसके लिए
उसके लिए जिसका मन भी खुशगवार है
मन भी खुशमिजाज है
ये नदी नाले पहाड़ झरने अहा कैसे
मन में हिलोरें हैं इसलिए
मौसम का कोई मन नहीं होता
लेकिन मन का मौसम होता है
मन का मौसम
बाहरी मौसम के लिए
उद्दीपक का काम करते हैं
मन चंगा तो सब चंगे नजर आएंगे
ये तय है कि मन से ही मौसम है
- कंचन ज्वाला कुंदन
मन अशांत है
बेचैन है
विषाक्त है
झरने के झर झर भी नहीं भा रहे इसे
कोयल की कूक भी कर्कश लग रहा है
समझ लेना अब मन को बाहर यात्रा की नहीं
आंतरिक यात्रा की जरूरत है
अब ध्यान दीजिए आप ध्यान के बारे में
ध्यान से मन शांत होगा
चैन मिलेगा
मन के विषाक्त मिटेंगे
ध्यान के गर्भ से निकलेगा निश्चित ही
कोई न कोई निदान
कोई न कोई समाधान
- कंचन ज्वाला कुंदन