शुक्रवार, 24 अगस्त 2018

अथश्री पैसा पुराण...

अथश्री पैसा पुराण...

मन ही सबका मलिन है, कहते हैं सब लोग

भोगी भरे भरपेट हैं, भोगी की बड़भोग

क्या बताएं आज की, हाल भाई बदहाल

चोर डूबे हैं चाशनी, अपनी रोटी-दाल

राम-राम कहते सभी, चमचा-नेता-भिखारी

बिन पैसे रीझे नहीं, जनता जगति सारी

पैसे से सब होत हैं, सिद्ध सकल सब काम

दिन-रात सब ही जपैं, पैसे की ही नाम

पैसा केवल नाम में, सकल शक्ति है भारी

कलियुग पैसा प्रभु, पैसा पुरुष अवतारी

है यदि पैसा पास में, होती है पहचान

वरना जानते लोग भी, कहते हैं अनजान

कहते हैं अनजान यदि, पैसा नहीं है पास

पॉकेट में पैसा रहे, तो लगते हैं कुछ खास

पैसे का मानव पुतला, पैसे का नाटकबाज

पैसे से दब जाते हैं, बड़े-बड़े ही राज

पेट पैसा पॉकेट पैसा, पोटली भी स्थान

पैसा खातिर खाली है, जगह-जगह जहान

दादा की अन्नी-दुअन्नी, बाप की पॉकेट पैसा

बेटा को मिलते रुपया, वक्त आया है ऐसा

रुपया को नमस्कार है, पैसा को प्रणाम

मधुशाला खुल जाती है, अब होते ही शाम

रुपया है भाई-बहन, रुपया माई-बाप

रुपया नहीं पास तो, लगती जीवन शाप

रुपए की रुतबा दिखे, जब टकराए जाम से

शान बढ़ी शराब की, पीते हैं एहतराम से

पैसे की ही कारण से, मची है भागम-भाग

योगी-भोगी-रागिनी, अलापैं इसकी राग

रग भी अब मिल जाते हैं, पैसे की बदले जान

पैसा तुझे पहचान ना पाया, पैसा तू है महान

ऐसा पंडित पैसा की, होती है सम्मान

यज्ञ-हवन सबहिं करें, गुणी गुणों की खान

पैसा पागल बावरे, सबको करे हैं आज

मिलने की संभावना से, होती हाथ में खाज

पैसा तूने बनाया है, मंत्री-नेता-अफसर

खोजत-फिरत अब तुझे, पल-पल प्रति अवसर

रे रुपया बहरूपिया के, सेठ धन्ना के धन

बहरूपिया-सा रूप तेरा, रहता है बन-ठन

पैसा पॉकेटमार की, पैसा की लूट-खसोट

पथ दर्शक पैसा पथिक, कभी करे ना खोट

पैसा पतित पावनि, पैसा सीताराम

पैसा परमेश्वर प्रभु, पैसा है घनश्याम

पैसा पाले पातकी, अवसर ना बारंबार

जनम सफल हो जाएगा, पैसा ही बस सार

अपनों से सब रुष्ट हैं, अपनों से नाराज

हेरफेर और फेरबदल में, आते नहीं है बाज

राम रुपया राहु रुपया, अवसर की सब बात

रुपया के रहते भला, क्या दिन और रात

पैसा देखन को चलें, वैश्यालय में आज

पैसा बदन पे ऐसा की, पैसे की ही साज

पैसा पड़ा पड़ाव में, गिरा है करते सैर

उसकी किस्मत थी रही, पा गया उसको गैर

पैसा इतना चाहिए, फैलाना पड़े ना हाथ

अर्जी रुपया तेरा रहे, मरते दम तक साथ

घूस-घूस के घूस ले ले, वरना घूसा पाय

ठूंस-ठूंस के भरले झोली, पैसा व्यर्थ न जाय

कर पैसे की चिंता, कर पैसे की याद

पैसा पुनि-पुनि मिलते नहीं, मर जाने के बाद

कर पैसे से दोस्ती, सबको दुश्मन जान

मान अनजान सबको मगर, रुपए की रहे पहचान

रुपया राही राह की, रुपया मीत सखा

रुपयों में सब कुछ है, औरों में क्या रखा

पैसा परम परमार्थ है, पैसा ही पुरुषार्थ

योग सुनावत गीता में, केशव सारथी पार्थ

ईमान है इंसान का, संसारी का सत्य

रुपया महिमा महान की, अलेखनी अकथ्य

चलते-सोते-खाते पैसा, सबको चिंता पैसा की

मेरे रहते चिंता ना घेरे, मैं पैसा हूं ऐसा की

रूपया रकम को राखिये, रुपया काम बनाय

टिकटधारी नेता को, रुपया राज दिलाय

प्यार पैसा प्यारा प्रेमी, पैसा को सम्मान

पैसा भक्त भगवान-सा, बस पैसा को मान

पैसा पय गोकुल की, क्षीर की नीर नहीं

जे पैसा पहचान लैं, जान सुजान वहीँ

पैसा पाना कठिन है, पैसा लंबा रूख

नित कोशिश कायम रहे, वरना मरोगे भूख

शुभदायक रुपया रही, वरदायक वरदान

तप किया इसके लिए, बन गया मैं धनवान
.......
अपनी रोटी दाल है चोर की छप्पन भोग
क्या बताऊं मैं भला कैसे कैसे लोग

चोर के छप्पन भोग है हम हो गए लतखोर
फरियाद भी सुनते नहीं अब तो माखनचोर

बिन पानी मछली जैसा हो गई अपनी हाल
पैसे की तड़पन में हो गए हम कंगाल

बेरहम रुपया कि रहे बेहया ही जात
बेरहम रुपया कि चले रोज रहम की बात

रास रचाते है वहीं राशि जिसका नाम
किशन मुरारी चले गए अपने गोकुलधाम

पाजी की पगड़ी पैसा खोते की है खान
पैसा से स्वाभिमान है पैसा से इंसान

- कंचन ज्वाला कुंदन

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