कर्म-कर्म-कर्म कर...
.......01.....
फल की तू ना आस कर
पल पल प्रयास कर
प्रयास कर प्रयास कर
बेहतर कुछ खास कर
कर्म कर जी जान से
मेहनत ईमान से
कर्म से ना जी चुरा
कर्म कर ना कर बुरा
कर्म तेरी पूजा है
कर्म है आराधना
कर्म ही तो साध्य है
कर्म ही है साधना
कर्म-कर्म-कर्म कर
कर्म से कर सामना
कर्म से कभी नहीं
पीछे तू भागना
कर्म तेरे हाथ है
कर्म तेरे साथ है
कर्म पे ही कर यकीं
कर्म पे विश्वास कर
फल की तू ना आस कर
पल पल प्रयास कर
प्रयास कर प्रयास कर
बेहतर कुछ खास कर
........02........
करते-करते कर्म चल
मस्ती में मचल-मचल
भूत से सीख कर
भविष्य को बदल-बदल
कर्म से कर सामना
जूट- डट- भीड़ कर
कर्म- कर्म- कर्म कर
कर्म में लेके रस
समय ना खो प्रमादवश
कर्म तेरी बंदगी
जीवन की पद्धति
है कर्म तपस्या तेरी
बस कर्म की ही जाप कर
कर्म पुण्य कर्म कर
कर्म में ना पाप कर
कर्म ही हथियार है
जीवन की कर्म ढाल
छोड़ दे सभी मगर
छोड़ ना तू अपनी चाल
कर्म कविता तेरी
कर्म है गजल-गजल
करते-करते कर्म चल
मस्ती में मचल-मचल
भूत से सीख कर
भविष्य को बदल-बदल
.........03.........
कर्म कर तू शान से
अपनी स्वाभिमान से
क्यों जान की फिकर तुझे
खेल अपनी जान से
पंछियों से सीख कुछ
चीटियों से सीख जरा
कल ही काटे घास थे
फिर आज क्यों हरा-भरा
उगे थे कल रवि-शशि
आज भी क्यों दिख रहे
ये चक्र दिन-रात की
क्यों रोज-रोज चल रहे
जो कल था वो ना आज है
समय भी क्यों बदल रहे
प्रगति पथ सोपान पे
निरंतर क्यों चल रहे
पग-पग कदम बढ़ा
चलता चल तू चलता चल
रखके अपना लक्ष्य चल
कर कैद मुट्ठियों में बल
प्रयास कर तू हर पल
होगा तेरा अपना कल
कर्म कर ना कम जरा
कर्म में तू रह खरा
कर्म में तू रह अटल
होगा तू सफल-सफल
चलता चल तू चलता चल
बढ़ता चल बढ़ता चल
आन-बान-शान से
कदम कदम जवान से
कर्म कर तू शान से
अपनी स्वाभिमान से
क्यों जान की फिकर तुझे
खेल अपनी जान से
- कंचन ज्वाला कुंदन
.......01.....
फल की तू ना आस कर
पल पल प्रयास कर
प्रयास कर प्रयास कर
बेहतर कुछ खास कर
कर्म कर जी जान से
मेहनत ईमान से
कर्म से ना जी चुरा
कर्म कर ना कर बुरा
कर्म तेरी पूजा है
कर्म है आराधना
कर्म ही तो साध्य है
कर्म ही है साधना
कर्म-कर्म-कर्म कर
कर्म से कर सामना
कर्म से कभी नहीं
पीछे तू भागना
कर्म तेरे हाथ है
कर्म तेरे साथ है
कर्म पे ही कर यकीं
कर्म पे विश्वास कर
फल की तू ना आस कर
पल पल प्रयास कर
प्रयास कर प्रयास कर
बेहतर कुछ खास कर
........02........
करते-करते कर्म चल
मस्ती में मचल-मचल
भूत से सीख कर
भविष्य को बदल-बदल
कर्म से कर सामना
जूट- डट- भीड़ कर
कर्म- कर्म- कर्म कर
कर्म में लेके रस
समय ना खो प्रमादवश
कर्म तेरी बंदगी
जीवन की पद्धति
है कर्म तपस्या तेरी
बस कर्म की ही जाप कर
कर्म पुण्य कर्म कर
कर्म में ना पाप कर
कर्म ही हथियार है
जीवन की कर्म ढाल
छोड़ दे सभी मगर
छोड़ ना तू अपनी चाल
कर्म कविता तेरी
कर्म है गजल-गजल
करते-करते कर्म चल
मस्ती में मचल-मचल
भूत से सीख कर
भविष्य को बदल-बदल
.........03.........
कर्म कर तू शान से
अपनी स्वाभिमान से
क्यों जान की फिकर तुझे
खेल अपनी जान से
पंछियों से सीख कुछ
चीटियों से सीख जरा
कल ही काटे घास थे
फिर आज क्यों हरा-भरा
उगे थे कल रवि-शशि
आज भी क्यों दिख रहे
ये चक्र दिन-रात की
क्यों रोज-रोज चल रहे
जो कल था वो ना आज है
समय भी क्यों बदल रहे
प्रगति पथ सोपान पे
निरंतर क्यों चल रहे
पग-पग कदम बढ़ा
चलता चल तू चलता चल
रखके अपना लक्ष्य चल
कर कैद मुट्ठियों में बल
प्रयास कर तू हर पल
होगा तेरा अपना कल
कर्म कर ना कम जरा
कर्म में तू रह खरा
कर्म में तू रह अटल
होगा तू सफल-सफल
चलता चल तू चलता चल
बढ़ता चल बढ़ता चल
आन-बान-शान से
कदम कदम जवान से
कर्म कर तू शान से
अपनी स्वाभिमान से
क्यों जान की फिकर तुझे
खेल अपनी जान से
- कंचन ज्वाला कुंदन
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