मेरी एक बात मानिए एक काम कीजिए
बहुत हुआ भागमभाग आराम कीजिए
हफ्तों महीनों बरसों में कभी तो एक दिन
निठल्ले बैठ सुबह को यूं शाम कीजिए
ध्यान लगाओ क्या क्या हासिल कर लिए
जो भी मिला उसका एहतराम कीजिए
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें