धर्म के धंधे के दो ही बड़े उसूल हैं
अज्ञात का भय और अज्ञात की जय
जो दिल में उतारनी हो उसे दिल में उतारें
जो कैमरे में उतारनी हो उसे कैमरे में उतारें
हम एक जगह भूल करते हैं भूल सुधारें
दूसरी जगह चूक करते हैं चूक सुधारें
मैं अलग दुनिया से हूं या अलग दुनिया है मेरी
तुम्हारी महफ़िल में शरीक होकर भी तन्हा हूं
मेरी एक बात मानिए एक काम कीजिए
बहुत हुआ भागमभाग आराम कीजिए
हफ्तों महीनों बरसों में कभी तो एक दिन
निठल्ले बैठ सुबह को यूं शाम कीजिए
ध्यान लगाओ क्या क्या हासिल कर लिए
जो भी मिला उसका एहतराम कीजिए