रविवार, 21 जुलाई 2024

धर्म के धंधे के दो ही बड़े उसूल हैं

 धर्म के धंधे के दो ही बड़े उसूल हैं

अज्ञात का भय और अज्ञात की जय

जो कैमरे में उतारनी हो उसे कैमरे में उतारें

 जो दिल में उतारनी हो उसे दिल में उतारें

जो कैमरे में उतारनी हो उसे कैमरे में उतारें

हम एक जगह भूल करते हैं भूल सुधारें

दूसरी जगह चूक करते हैं चूक सुधारें







सोमवार, 8 जुलाई 2024

मंजिल कहां पता नहीं

 उड़ रहा हूं यहां वहां

लैंड होगा जाने कहां

मंजिल कहां पता नहीं

क्या मिलेगा इधर यहां


तुम्हारी महफ़िल में शरीक होकर भी तन्हा हूं


मैं अलग दुनिया से हूं या अलग दुनिया है मेरी

तुम्हारी महफ़िल में शरीक होकर भी तन्हा हूं


मेरी एक बात मानिए एक काम कीजिए

 मेरी एक बात मानिए एक काम कीजिए

बहुत हुआ भागमभाग आराम कीजिए

हफ्तों महीनों बरसों में कभी तो एक दिन

निठल्ले बैठ सुबह को यूं शाम कीजिए

ध्यान लगाओ क्या क्या हासिल कर लिए

जो भी मिला उसका एहतराम कीजिए