कहे कुंदन कविराय

शुक्रवार, 31 जनवरी 2020

आज भी उलझा हूँ कुछ सुलझाने के लिए, आकाश खो चुका हूँ मुट्ठीभर पाने के लिए...

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गुरुवार, 30 जनवरी 2020

जिस फसल की कटाई हो चुकी है, अब ख़्वाब में उसके बीज बोता हूँ...

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बुधवार, 29 जनवरी 2020

ये समझ में देर से आया मगर दुरुस्त आया, कुछ तय किये बिना सफ़र तय नहीं होगा...

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मंगलवार, 28 जनवरी 2020

नाक में दम कर रखा है इस कमबख्त ने, मोबाइल से आदमी परेशान होने लगा है...

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सोमवार, 27 जनवरी 2020

क्या तुम विचारों पर भी एकतरफा कब्ज़ा कर लोगे...?

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रविवार, 26 जनवरी 2020

मुझे बस इतना ही बता दो कि प्यार क्या होता है...

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शनिवार, 25 जनवरी 2020

रिश्ते सिमट रहे हैं यूँ लाश को कांधा देने तक...

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शुक्रवार, 24 जनवरी 2020

चुनने की आजादी है मगर पिंजरा चुनना होगा...

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बुधवार, 22 जनवरी 2020

दफ्तर है मतलब यार उसे बस्तर ही समझो...

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मंगलवार, 21 जनवरी 2020

प्यार का सेंसेक्स बताओ कहाँ आकर ठहर गया...

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सोमवार, 20 जनवरी 2020

होल्ड करके रखो खुद को अभी...

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रविवार, 19 जनवरी 2020

याद रहे जब भी गिरो गिरकर खड़ा होना...

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शनिवार, 18 जनवरी 2020

छिनता जा रहा है मेरे हिस्से का धूप भी...

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शुक्रवार, 17 जनवरी 2020

सड़क से सदन तक बेफिजूल बवाल है, ये डर्टी पॉलिटिक्स भी न बड़ा कमाल है...

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बुधवार, 15 जनवरी 2020

धोखे खाकर पछताओ मत तुम भी धोखेबाज बनो...

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