शुक्रवार, 13 मई 2016

डिग्री और थर्डडिग्री. व्यंग्य

                                                          डिग्री और थर्डडिग्री
 
                                                                 व्यंग्य

    आजकल बेरोजगारी सुरसा की मुख की तरह बढ़ता ही जा रहा है। ढंग की कोई नौकरी करने एमबीए और इंजीनियरिंग की डिग्री भी नाकाफी साबित हो रहा है। बेरोजगारी का आलम इस कदर बढ़ गया है कि हर डिग्रीधारी आदमी के लिए उसकी डिग्री जेल की थर्डडिग्री साबित हो रही है। जेल में मुजरिम से सही बात उगलवाने पुलिस थर्डडिग्री का सहारा लेती है। खूब मार पड़ती है, जख्म पर मिर्ची छिड़का जाता है, मुंह में कपड़ा ठूंसकर शॉक दिया जाता है...। कुल मिलाकर कहें तो जेल की थर्डडिग्री प्रताडऩा की इंतिहा होती है। थर्डडिग्री का एक कायदा रहता है कि कितना भी कूटो आदमी मरना नहीं चाहिए।

     बस कुछ इस तरह ही डिग्री को रखकर आदमी थर्डडिग्री झेलते रहता है कि उसे कभी न कभी अच्छी नौकरी मिल ही जाएगी। इस डिग्री के चलते तो कई लोग गले में रस्सी डालकर धूप में कपड़े की तरह टंगकर सूख जाते हैं। आदमी इंतजार में मर रहा है। नौकरी है कि सरकार के घर के अंदर नौकरानी बन बैठी है। वह आम आदमी के दर्शन के लिए बाहर निकलती ही नहीं। आखिर सरकार को कोई कैसे समझाए कि डिग्री का दंश जेल की थर्डडिग्री से बड़ा है भैया...।

    अब केजरीवाल साहब को देख लीजिए, उनकी डिग्री की फिक्री इस कदर बढ़ गई कि मोदी की डिग्री पीछे पड़ गए हैं। डिग्री बता दिए तो उसे केजरीवाल ने फिर एक नया डिग्री करार दे दिया। फर्जी की डिग्री। मोदी की डिग्री का क्या करोगे केजरीवाल जी...। हम बेरोजगार युवाओं की भी कभी डिग्री पूछ लो। चपरासी के पद पर इंजीनियरिंग के डिग्रीधारी युवक अर्जी लगा रहे हैं कि हमें इंजीनियर नहीं चपरासी बना दो। कभी-कभी तो अवसाद की स्थिति में मन होता है कि इन सभी डिग्री की बिक्री ही कर दूं।

    ये डिग्री का डगर भी बड़ा रोचक है जनाब। बचपन में चार अक्षर पढऩा क्या सीख गए, लोगों ने कहा- मुन्ना बहुत होशियार है। इसके पास बड़ी डिग्री होगी। बहुत ऊपर तक जाएगा। घर आए मेहमान अंकल को दो-चार पोयम क्या सुना दिए, घरवालों ने उसी बखत डिसाइड कर लिया कि मुन्ने को ऊंची शिक्षा और बड़ी डिग्री दिलवाएंगे।                                                                   

किसी ने कहा- पांचवी फस्र्ट डिवीजन से पास कर लो मुन्ना भविष्य सुधर जाएगा। कर लिया पांचवी पास पूरे जिला मे टॉप। फिर किसी ने कहा- 10वीं कर लो, 12 वीं कर लो। अब ये भी कर लिया तो कहीं से सुना कि ग्रेजुएट पर्सन बनने मेंं रुतबा और बढ़ जाएगाऔर साथ में डिग्री भी बढ़ जाएगी। फिर पोस्ट गे्रजुएशन, एमफिल और पीएचडी का चक्कर इस तरह डिग्रियांे का जखीरा बढ़ता गया। ये मालूम नहीं था कि यही डिग्रियां एक दिन जेल की थर्डडिग्री का एहसास कराएगी।

                                                                                कंचन ज्वाला 'कुंदन'
                                                                             kundanjwala@gmail.com

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