कहे कुंदन कविराय
रविवार, 28 फ़रवरी 2016
अगर तलवे हमने भी चाटा होता
तरक्की की फसलें हमने भी काटा होता
कामयाबी की खीर हमने भी बांटा होता
गैरों की तरह गैरत बेचकर
अगर तलवे हमने भी चाटा होता
-कंचन ज्वाला कुंदन
शुक्रवार, 26 फ़रवरी 2016
तलवे चाटने की परंपरा चल पड़ी है...
पत्रकार दफ़्तर से भगाए जा रहे हैं
विलायती कुत्ते मंगाए जा रहे हैं
तलवे चाटने की परंपरा चल पड़ी है
देखिए पत्रकारिता आज कहाँ आ खड़ी है
- कंचन ज्वाला कुंदन
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